Sunday, July 17, 2011

मेरी सुहागरात


बचपन में जब मैं पांच साल का था तब मेरी ताईजी का देहांत होने के कारण उनकी लड़की जो मुझसे सात साल बड़ी हैं हमारे साथ रहती थी. उनका नाम मंजू है. मेरे पिताजी सरकारी ऑफिस में अच्छी पोस्ट पर काम करते थे. हमें सरकारी मकान मिला हुआ था. मकान बहुत बड़ा था और उसके कमरे भी बहुत बड़े थे.
चार बैडरूम, रसोई और बैठक थे उस मकान में. जबकि उस समय मैं नीरज, मेरा छोटा भाई छोटा और छोटी बहिन मुन्नी, मां, बाबूजी और मंजू जीजी कुल छः लोग ही उस मकान में रहते थे.

जैसे जैसे बड़ा हुआ एक्सरसाइज़ ठीक होने से लंड का साइज़ भी सात इंच का हो गया. पिताजी का तबादला राजस्थान के अलग अलग शहरों में होता हुआ जयपुर में कुछ समय रुका तो पिताजी ने यहाँ घर बनवा लिया. अब स्कूल में उसके बाद लड़को के कोलेज में पढ़ा लेकिन लड़कियों से बात करने में गांड फटती थी इसलिए हमारी गली में आठ लड़कियां होते हुए भी खूब इच्छा होने पर भी मैं उनमे से एक को भी पटा नही पाया. इच्छा बहुत होती थी चोदने कि लेकिन मुट्ठ मारकर ही काम चलाना पड़ता था. साइंस का छात्र था इसलिए पढ़ा सबकुछ लेकिन प्रैक्टिकल हो नही पाया. बाईस साल का होने पर मेरा कद छः फुट आ गया रंग साफ़ और चेहरा आकर्षक.

click here for full story

No comments:

Post a Comment